Lohri and Makar Sankranti 2024

Lohri and Makar Sankranti 2024-

सूर्य सर्दी से वसंत की ओर शुभ संक्रमण की शुरुआत करता है, लोहड़ी और मकर संक्रांति का त्यौहार 2024 की सांस्कृतिक छवि को उजागर करते हैं। लोहड़ी, मुख्य रूप से उत्तरी भारत में मनाई जाती है, जो सर्दी की समाप्ति और शुरुआत का प्रतीक है। दोस्त ,परिवार और रिश्तेदार अलाव के आसपास एक साथ आते हैं, गर्मी और सौहार्द का आनंद लेते हैं, जबकि लोक संगीत और पारंपरिक नृत्य हवा को खुशी से भर देते हैं।

इसके साथ ही, देश भर में विभिन्न क्षेत्रीय विविधताओं के साथ मनाई जाने वाली मकर संक्रांति, उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की यात्रा का प्रतीक है। यह फसल उत्सव गहरा आध्यात्मिक महत्व रखता है, जो प्रकृति की उदारता के प्रति कृतज्ञता की भावना को प्रोत्साहित करता है। आकाश में पतंगें अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक हैं, क्योंकि लोग विभिन्न उत्सवों में भाग लेते हैं और पारंपरिक मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं।

लोहड़ी और मकर संक्रांति दोनों ही भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता का उदाहरण हैं, जो प्राचीन परंपराओं को समकालीन उत्सवों के साथ मिश्रित करते हैं। 2024 में, ये त्योहार समुदायों को एक साथ बांधते हैं , एकता और सामूहिक खुशी की भावना को बढ़ावा देते हैं। क्योंकि लोग सर्दियों को अलविदा कहते हैं और वसंत के को अपनाते हैं।

Lohri (लोहड़ी ) का त्यौहार –

हर साल मकर संक्रांति के एक दिन पहले यानी 13 january को लोहड़ी का त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता हैं। वैसे तो लोहड़ी को सम्पूर्ण उत्तर भारत में मनाया जाता हैं। लेकिन इस त्यौहार को सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा में धूम-धाम और उत्साह से मानते हैं। क्योंकि ये पंजाबियो का सबसे प्रमुख त्यौहार हैं। लोहड़ी के दिन सभी लोग एक साथ मिलकर एक गोल दायरा बनाते है ,जिसमें हम अग्नि प्रज्वलित करते हैं.गोल को दायरे को किनारे सूंदर रंगोली बनाते हैं।अग्नि में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाते हैं और अग्नि के चारों नवविवाहित जोड़े आहुति देते हुए परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा करते हुए अपने सुखी विवाहित जीवन की कामना करते हैं।

Lohri and Makar Sankranti 2024

Lohri (लोहड़ी ) का त्यौहार क्यों मानते हैं –

  • लोहड़ी पारंपरिक तौर पर फसल की कटाई और बुआई से जुड़ा एक खास त्यौहार हैं।
  • लोहड़ी के मौके पर पंजाब में नई फसल की पूजा करने की परंपरा हैं।
  • इस दिन लोग आग के पास भंगड़ा करते हैं और लड़किया गिद्दा करती हैं।
  • शहर में हर चौराहे पर लकड़ियाँ जलाई जाती हैं।
  • लोहड़ी के बहाने दोस्तों और रिश्तेदारों से मुलाक़ात हो जाती है और सभी मिलकर लोहड़ी का जश्न बड़े धूम-धाम से मानते हैं।
  • इस दिन तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली का भी खास महत्व हैं।
  • पूरा दिन लकड़ियाँ इकट्ठी की जाती हैं या फिर पैसे देकर भी लकड़ियाँ खरीदी जाती हैं।
  • फिर इन लकड़ियों को घरों के आस-पास या खुली जगह में जलाया जाता हैं।
  • अग्नि में तिल ,गुड़ और मक्का को भोग के रूप में चढ़ाया जाता हैं।
  • लोहड़ी  पर घर-घर जाकर दुल्ला भट्टी के और अन्य तरह के गीत गाने की परम्परा हैं।

हालाँकि आजकल ये सब देखने को कम ही मिलता हैं।बच्चे घर-घर लोहड़ी लेने जाते है और उन्हें खाली हाथ नहीं लौटाया जाता हैं। इसलिए उन्हें गुड़,तिल,मूँगफली ,गजक या रेवड़ी दी जाती हैं।

आग जलाकर  लोहड़ी को सभी में वितरित किया जाता हैं। नृत्य और संगीत का दौर भी चलता रहता हैं।
तो देखा अपने कितने हर्ष और उल्लास के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता हैं।

Read Also: ड्राई फ्रूट लड्डू रेसिपी (dry fruit ladoo recipe)

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्यौहार-

Lohri and Makar Sankranti 2024

मकर संक्रांति को भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं-

  • गुजरात में लोग मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जानते हैं।
  • राजस्थान ,बिहार और झारखंड में इसे सकरात कहा जाता हैं।
  • तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता हैं।
  • आंध्रप्रदेश ,केरला,कर्नाटक में इसे संक्रांति के नाम से जाना जाता हैं।
  • उत्तरप्रदेश में इसे खिचड़ी के नाम से जाना जाता हैं।

मकर संक्रांति को मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण –

हिन्दू धर्म में माह को दो पक्षों में बांटा जाता हैं-

  • कृष्ण पक्ष
  • शुक्ल पक्ष

ठीक इसी तरह से वर्ष को भी दो पक्षों में बांटा गया हैं –

  • उत्तरायण
  • दक्षिणायण

अगर दोनों को मिला दिया जाएं ,तो एक वर्ष पूरा हो जाता हैं।

मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति शुरू हो जाता हैं ,इसलिए मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं। इसके अलावा पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता हैं ,तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हैं
मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व हैं जिसे सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता हैं।हर साल january के 14 तारीख को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हैं।मकर संक्रांति को मनाने के पीछे ये सारे वैज्ञानिक कारण ही हैं।

मकर संक्रांति को मनाने के पीछे हिन्दू धर्म की मान्यताएं –

जैसे की हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार आज के दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबाकर युद्व की समाप्ति की घोषणा की थी। इसीलिए इस मकर संक्रांति के दिन को बुराईओं और नकारात्मकता को समाप्त करने का दिन भी मानते हैं। कहीं -कहीं आज के दिन पतंग उड़ाने की भी परंपरा होती हैं।पूरे भारत में इस त्यौहार को हर्ष और उल्लाश से मनाया जाता हैं।ऐसी मान्यता है की संक्रांति में हमें चौदह चीज़ें पुण्य करनी चाहिए।

Read Also: Makar Sankranti Special Thali in 2024(2024 में मकर संक्रांति स्पेशल थाली)

Leave a Comment