दीपावली का त्यौहार(Deepawali ka tyohar)क्यों मनाया जाता हैं।

Deepawali ka tyohar

दीपावली का त्यौहार(Deepawali ka tyohar)क्यों मनाया जाता हैं-

यह त्यौहार कार्तिक अमावस्या को बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।भारत एक ऐसा देश है जिसे त्यौहारों की भूमि कहा जाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं।इसलिए हमेंशा त्यौहारों का महौल बना रहता है। इन्ही त्यौहारों में से एक है दीपावली। जो दशहरा के ठीक 20 दिन बाद मनाया जाता हैं। इस त्यौहार को भारत में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी धूम-धाम से मनाया जाता है।इस दिन विशेष रूप से गणेश और लक्ष्मी और कुबेर जी का पूजन करते है।इस दिन हम दीपक जलाते हैं। घरो में झालर लगते हैं और घरो को फूलों से सजाते हैं। सभी लोग मिलकर पटाखे छुड़ाते हैं और घर पर बहुत सारे पकवान बनाये जाते हैं।दीवाली क्यों मनाई जाती है इसका एक कारण यह भी है की दीपावली पर घर की सजावट करने से घर की ख़ूबसूरती बढ़ जाती है,हमारा घर जगमगाने लगता है।

दीपावली का त्यौहार(Deepawali ka tyohar)क्यों मनाया जाता हैं,इसके बारे में हम विस्तार में समझेंगे –

दीपावली का त्यौहार(Deepawali ka tyohar) मनाने के बारे में बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं।इन्हीं में से कुछ मुख्य कथाओं के बारे में आज हम आपको बताएंगे-

1.पहली कथा
त्रेता युग में जब भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ था। तब उन्होंने 14 वर्ष तक अनेक यातनाये झेलीं। और इन यातनाओ को झेलते हुए वह लंका पहुंचे। जहां लंकापति रावण का वध करने के बाद भगवान श्री राम चंद्र कार्तिक अमावस्या को ही अयोध्या लौटे थे।
इस अवसर पर सभी अयोध्यावासी श्री राम के नगर वापसी पर खुशी मनाते हुए घी का दीपक जलाते हैं और तभी से दीपावली का त्यौहार(Deepawali ka tyohar) मनाया जाता है।
2.दूसरी कथा
समुद्र मंथन के समय कार्तिक अमावस्या को ही क्षीरसागर से ही माँ महालक्ष्मी जी उत्पन्न हुई थी।भगवान श्री हरि विष्णु जी और माता लक्ष्मी का विवाह संपन्न हुआ था। तभी से दीपावली का त्यौहार(Deepawali ka tyohar)मनाते हैं। माता लक्ष्मी धन की देवी है। इसलिए हर घर में दीपक जलाने के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करते हैं। जिससे घर में हमेशा मां लक्ष्मी का निवास बना रहे।
3.तीसरी कथा
द्वापर युग में एक राक्षस नरकासुर हुआ करता था, वह बहुत ही अत्याचारी था। एक बार उसने 16 हजार युवतियों का अपहरण कर लिया था। तब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया और 16 हजार युवतियों को नरकासुर से मुक्त कराया था। वह दिन भी कार्तिक अमावस्या का ही दिन था। इसलिए कृष्ण भक्ति धारा के लोग भी इस दिन को दिवाली के दिन के रूप में मनाते हैं।
4.चौथी कथा
एक बार की बात है जब मुगल बादशाह जहांगीर ने 52 हजार राजाओ को ग्वालियर के किले में बंदी बनाकर रखा।उस दौरान सीखो के 6वे गुरु हर गोविंद सिंह ने सुझ-बुझ और अपनी बुद्धमानी से उन 52 हजार राजाओ को जहांगीर को मुक्त कराया था। तब से सिख समुदाय के लोग भी ये दीपावली का त्यौहार(Deepawali ka tyohar) मनाने लगे।
5.पांचवीं कथा
जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को कार्तिक अमावस्या की रात को ही निर्वाण की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन भगवान महावीर के प्रमुख गणधर गौतम स्वामी को केवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।इसलिए दीप और रोशनी के त्योहार दीपावली को जैन धर्म के लोग भी बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं। जैन ग्रंथो के अनुसार भगवान महावीर स्वामी ने दीपावली के दिन अर्थात् कार्तिक अमावस्या को मोक्ष में जाने से पहले आधी रात में अंतिम उपदेश दिया था जिसे उत्तरध्यान सूत्र के नाम से जाना जाता है।भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष में जाने के बाद वहाँ मौजूद जैन धर्मलंबियो ने दीपक जलाकर रोशनी करते हुए खुशियां मनाई थी। जैन धर्म के लिए ये त्यौहार विशेष रूप से त्याग और तपस्या के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।इसलिये इस दिन जैन धर्मावलंबी महावीर स्वामी का पूजन करते हैं।सभी जैन मंदिरों में विशेष रूप से पूजा का आयोजन किया जाता है।

दीपावली का त्यौहार(Deepawali ka tyohar) मनाने के लिए चाहे कोई भी कथा हो और चाहे कोई भी तथ्य हो ,लेकिन यह बात निश्चित है की दीपक आनंद प्रकट करते हैं। भारतीय संस्कृति में दीपक आनंद प्रकट करने के लिए जलाये जाते हैऔर खुशियाँ बांटने का काम करते हैं। भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य और ज्ञान का सुजाक माना जाता हैं क्यूँकि दीपक स्वयं जलता हैं लेकिन दूसरो को प्रकाश देता हैं। दीपक की इसी विशेषता के कारण धार्मिंक ग्रन्थों में दीपक को ब्रह्मस्वरूप माना जाता हैं। यह भी मान्यता हैं की दीपदान से शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान होती हैं। जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पता वहाँ दीपक का प्रकाश पहुंच जाता हैं। दीपक को सूर्य का भाग कहा हैं।

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2023में दीपावली के पूजन का शुभ मुहूर्त क्या हैं ?

12 नवंबर (रविवार )को दिन के 2 बजकर 12 मिनट से प्रारम्भ होकर १३ नवंबर(सोमवार ) को दिन के 2 बजकर 41 मिनट तक है।

दीपावली के दिन गणेश और लक्ष्मी की पूजा क्यों करते है ???

भगवन श्री गणेश बुध्दि के देवता हैं,इसलिए हम भगवन श्री गणेश के सामने नतमस्तक होकर उनके सामने प्रार्थना करते हैं की हमे सदा सद्बुध्दि के मार्ग की और ले चलें और कुबेर जी धन के देवता होने के कारण उनका पूजन किया जाता हैं। जिससे कुबेर जी की कृपादृष्टि हम पर बनी रहे और धन ,सम्पदा हमारे घर प्रचुर मात्रा में भरा रहें।

दीपावली आने से पहले और दीपावली के दिन हम क्या-क्या तैयारियाँ करते हैं-

  • दीपावली का त्यौहार(Deepawali ka tyohar)क्यों मनाया जाता हैं,इसके बहुत से कारण है,इसी बहाने घर की अच्छे से साफ -सफाई हो जाती हैं।
  • धनतेरस से पहले घर की अच्छे से साफ़-सफाई करते हैं। क्यूँकि ऐसा माना जाता की स्वच्छ घर में ही लक्ष्मी का आती हैं।
  • घरो की पुताई करवाते है जिससे दीपावली पर घर बहुत खूबसूरत लगे।
  • धनतेरस के दिन गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति और गणेश -लक्ष्मी का चाँदी का सिक्का लाते हैं।
  • घर की सजावट का सामान जैसे की -lighting ,फूलों की माला ,रंगोली’का सामान,स्टील का बर्तन ,चाँदी का गणेश -लक्ष्मी का सिक्का दीपक ,मोमबत्ती इत्यादि लाते हैं।
  • इस दिन हम बिभिन्न तरह के पटाखे जैसे-फूलछड़ी ,रॉकेट ,सीको ,चरखी,रौशनी इत्यादि भी छुड़ाते हैं।
  • घर में तरह-तरह के मीठे और नमकीन पकवान बनाये जाते हैं।
  • दीवाली के त्योंहार में पहनने के लिए नए वस्त्र ख़रीदे जाते हैं।

दीवाली पर हम कौन से व्यंजन बनाते हैं?

दीपावली के दिन हम पारंपरिक पकवान बनाते हैं जैसे रसमलाई, पेड़ा, बालूशाही, काजू कतली, छेना, गुलाब जामुन, चंद्रकला, गुलाब के लड्डू आदि। कुछ लोग मिठाईयाँ घर पर बनाना पसंद करते हैं और कुछ लोग इसे बाजार से लाना पसंद करते हैं।दीपावली का त्यौहार(Deepawali ka tyohar)क्यों मनाया जाता हैं,इसके बहाने हमे स्वादिष्ट पकवान खाने को मिल जाते हैं। दीवाली बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार हैं ,इसे बहुत ही उत्साह और धूम-धाम से मानते हैं और साथ-ही-साथ स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाते हैं। कुछ और व्यंजन क्र बारे में हम विस्तार पूर्वक में बात करते हैं –

समोसे: मसालेदार आलू, मटर से भरी कुरकुरी, तली हुई पेस्ट्री।
मिठाई: गुलाब जामुन, रसगुल्ला और जलेबी,बासुंदी जैसी विभिन्न मिठाइयाँ।
नमकीन: चकली, सेव और मठरी जैसे स्वादिष्ट स्नैक्स।
पकौड़े: आलू, प्याज या पालक जैसी सब्जियों से बने पकौड़े, जिन्हें बेसन के घोल में डुबोया जाता है।
लड्डू: बेसन, सूजी और नारियल जैसी सामग्री से बने गोल, मीठे गोले।
हलवा: सूजी, गाजर या दाल से बना मीठा हलवा, जिसे अक्सर मेवों से सजाया जाता है।
चाट: पानी पुरी और आलू टिक्की सहित मसालेदार और चटपटे स्ट्रीट फूड स्नैक्स।
फ्रूट चाट: मिश्रित फलों और चाट मसाला से बना एक ताज़ा सलाद।
बर्फी: गाढ़े दूध से बनी एक मीठी मिठाई, जिसमें इलायची, पिस्ता या बादाम का स्वाद होता है।

ये स्वादिष्ट व्यंजन भारतीय विविधता और समृद्धि को दर्शाते हैं।

FAQ

Q:दीपावली कब और क्यों मनाई जाती हैं ?
Ans:कार्तिक मास की अमावस्या को मानते हैऔर भगवान श्री राम चंद्र के अयोध्या वापस आने की ख़ुशी में मानते हैं।
Q:दीपावली का पुराना नाम क्या है?
Ans:दीपोत्सव
Q:छोटी दीपावली को क्यों मानते हैं ?
Ans:छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी या काली चौथ भी कहा जाता हैं। इस दिन दीपावली की तरह दीपक जलाये जाते हैं।
Q:नरक चौदस के दिन दीपक क्यों जलाये जाते हैं?
Ans:यमदेव को प्रसन्न करने के लिए नरक चौदस के दिन दीपक जलाते हैं और उनसे सुख-समृद्दि की कामना करतें हैं।
Q:धनतेरस क्यों मानते हैं ?
Ans:इसी दिन भगवान धन्वंतरि का प्रकाट्य हुआ था जो की समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर के प्रकट हुए थे ,उन्हें भगवन विष्णु का अंशावतार भी माना जाता हैं और उन्हीं के जन्मोत्सव के रूप में धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता हैं।

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